इस आर्टिकल को शुरू करने के लिए, श्री रबीन्द्रनाथ टैगोर के इन लाइनों से अच्छा मुझे और कुछ नहीं मिला। इसलिए, इस आर्टिकल को शुरु करने से पहले मैं आपके साथ ये पंक्तियाँ साझा करता हूँ।
Heaven of Freedom
“Where the mind is without fear and the head is held high
Where knowledge is free
Where the world has not been broken up into fragments
By narrow domestic walls
Where words come out from the depth of truth
Where tireless striving stretches its arms towards perfection
Where the clear stream of reason has not lost its way
Into the dreary desert sand of dead habit
Where the mind is led forward by thee
Into ever-widening thought and action
Into that heaven of freedom, my Father, let my country awake.”
Rabindranath Tagore
हम सभी ने अपने इतिहास की किताबों में स्वतंत्रता संग्राम के बारे में पढ़ा है। लेकिन क्या हम आजादी का असली मतलब जानते हैं? क्या हम इसे वैसे ही संजोते हैं जैसा हमें करना चाहिए? क्या हमने अपने स्वतंत्रता नायकों की गरिमा को बनाए रखा है?
भले ही मुझे इनका जवाब न पता हो.. लेकिन अपने संस्कृति एवं विरासत की धरोहरों को अपने भीतर संजो कर मैं और आप अपना-अपना काम कर सकते हैं। यह ध्यान रखते हुए कि वास्तव में भारतीय होने का क्या मतलब है।
इस गणतंत्र दिवस, आइये अपने भीतर के भारतीय को जगाते हैं !
आइए हम उन ऐतिहासिक स्थलों को फिर से देखें जो हमारे इतिहास के पन्नों को एक सार्थक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। इसके लिए मैं यहाँ उन स्थलों के बारे में एक गाइड प्रस्तुत करता हूँ, जिन्हें प्रत्येक भारतीय को अपने जीवनकाल में एक बार अवश्य देखना चाहिए।
यहां उन स्थानों की सूची दी गई है जो आपको एक स्वतंत्र राष्ट्र के वास्तविक मूल्यों को समझने में मदद करेंगे। आप स्वतंत्रता की कीमत को और अधिक सार्थक तरीके से समझ सकेंगे, जैसा कि मैं समझ पाया हूँ। आइये उन कहानियों को इतिहास के पन्नो से बहार निकलते हैं। इस गणतंत्र दिवस आइए इन 14 जगहें को देखें और जानें कि आजादी हासिल करने के लिए हमने क्या-क्या खोया है।
ये १४ जगहें ही क्यों हैं बेस्ट इस गणतंत्र दिवस पर हमारी इस सूचि में ?
ये एक बहुत ही वाजिब प्रश्न है। इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए मैं कुछ स्थितियों का सहारा लूंगा।
किसी चीज़ के महत्व का अनुमान लगाने के लिए, आम तौर पर, हम देखते हैं कि हमने क्या किसी चीज़ के महत्व को महसूस करने के लिए, आम तौर पर, हम देखते हैं कि हमने क्या पाया है। हालाँकि, कभी-कभी हम चूक जाते हैं कि हमने इसके लिए क्या खोया है। हम सभी जानते हैं कि १९४७(1947) में हमें आजादी मिली, लेकिन किस कीमत पर?
यदि कोई मुझसे पूछे कि क्या मैं स्वतन्त्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले एक-एक व्यक्ति को जानता हूँ? मैं क्या, कोई नहीं जानता और यह किसी इंसान के लिए संभव भी नहीं है। हम यह भी नहीं जानते कि वे कहाँ रहते थे। लेकिन हम यह जानते हैं कि वे कहां लड़े, किस चीज के लिए लड़े और इसके लिए उन्होंने किन चीजों का इस्तेमाल किया।
हर उस स्थल पर जाना संभव नहीं है, जहां हमारे पूर्वजों ने आजादी की लड़ाई लड़ी थी। लेकिन कुछ ऐसे स्थान हैं जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। यह सूची उन १४(14) जगहें को ध्यान में रख कर बनायीं गयी हैं जिन्होंने एक प्रमुख भूमिका निभाई है और इस गणतंत्र दिवस पर जाने के लिए सर्वश्रेष्ठ हैं।
१४(14) बेस्ट जगहें जो इस गणतंत्र दिवस प्रत्येक भारतीय को जाना चाहिए।
आपने वह कविता पढ़ी होगी “खूब पड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी”। क्या आप इसे वास्तविक रूप से अनुभव करने की कल्पना कर सकते हैं? रानी लक्ष्मीबाई को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए देखना कैसा रहा होगा? एक भारतीय को कैसा लगा होगा जब नेताजी ने कहा, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा”? आइए मेरे साथ भारत के सबसे पहले स्वतंत्रता सेनानी मंगल पाण्डेय से मिलते हैं। आइए इस गणतंत्र दिवस, चलते हैं ये १४(14) जगहें और जानते हैं भारतीय इतिहास को और भी करीब से।
१४(14) बेस्ट जगहें जहाँ हम इस गणतंत्र दिवस के अवसर पर जा सकते हैं वो हैं
१. राष्ट्रीय युद्ध स्मारक, दिल्ली
गणतंत्र दिवस के इस अवसर पर हमारे इन १४ स्थानों की सूचि में पहले पायदान पर है राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जो की देश की राजधानी दिल्ली में स्थित है। यह भारत का पहला युद्ध स्मारक है जो उन शहीदों को समर्पित है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। स्वतंत्र भारत के सैनिक जिन्होंने विभिन्न युद्धों और अभियानों में लड़ाइयां लड़ी हैं, उन्हें यहाँ याद किया जाता है। इन नायकों की याद में हर शाम गार्ड बदलने का समारोह होता है। इसका उद्घाटन 25 फरवरी 2019 को हुआ था। पुरानी अमर जवान ज्योति (अमर सैनिकों की ज्वाला) को इंडिया गेट से यहां स्थानांतरित कर दिया गया था। यह ज्योति अमर चक्र (मुख्य स्मारक) पर जलाई जाती है।
- समय: प्रतिदिन सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक।
- प्रवेश शुल्क: नि: शुल्क
- हालांकि प्रवेश नि:शुल्क है लेकिन कुछ दिनों/समय पर प्रतिबंधित रहता है। आप इसे चेक कर सकते हैं nationalwarmemorial.gov.in।
अब आप जब दिल्ली आ ही चुके हैं तो इन जगहों इन २० मुख्या जगहों को मिस ना करें top 20 Best Places to visit in Delhi।
२. राष्ट्रीय पुलिस स्मारक और संग्रहालय, दिल्ली
यह उन सभी पुलिस अधिकारियों को समर्पित है जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। संग्रहालय में 30 फीट की मूर्ति है जो पुलिस अधिकारियों के समर्पण, शक्ति और दृढ़ता का प्रतीक है। इसमें राष्ट्रीय पुलिस संग्रहालय है जो शहीद पुलिस अधिकारियों और अन्य दस्तावेजों, हथियारों के गजट आदि के बारे में जानकारी प्रदर्शित करता है। यहां एक वॉल ऑफ वेलोर है जिसमें 35,134 अधिकारियों के नाम हैं जिन्होंने कर्तव्य के दौरान अपने जीवन का बलिदान दिया। प्रत्येक सप्ताह के अंत में शाम को सभी के लिए परेड, बैंड प्रदर्शन और रिट्रीट समारोह आयोजित किया जाता है।
- समय: राष्ट्रीय पुलिस संग्रहालय के लिए – सुबह 09:30 बजे से शाम 05:00 बजे तक। सोमवार और राष्ट्रीय अवकाश को छोड़कर सप्ताह के सभी दिनों में।
- राष्ट्रीय पुलिस स्मारक के लिए – सुबह 08:00 बजे से रात 08:00 बजे तक। सोमवार और राष्ट्रीय अवकाश को छोड़कर सभी दिन।
- प्रवेश शुल्क: नि: शुल्क
३. लाल किला, दिल्ली
इस किले का निर्माण मुगल शासक शाहजहां ने करवाया था। किले पर मुगल साम्राज्य, मराठी साम्राज्य और ब्रिटिश राज के शासकों का शासन था। वर्तमान में यह भारत सरकार द्वारा संरक्षित है और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की श्रेणी में आता है। लाल किला परिसर में हमारे माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2019 में 4 नए संग्रहालयों का उद्घाटन किया गया। ये नेताजी सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय, आजादी के दीवाने संग्रहालय, याद-ए-जलियां संग्रहालय और दृश्य कला संग्रहालय हैं।
- समय: सोमवार को छोड़कर सभी दिनों में सुबह 09:30 से शाम 04:30 बजे तक।
- प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए ₹35 और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए ₹500; वीडियो कैमरा के लिए ₹25
लाइट एंड साउंड शो
- सप्ताहांत पर = वयस्कों के लिए ₹ 80 और बच्चों के लिए ₹ 30
- सप्ताह के दिनों में = वयस्कों के लिए ₹60 और बच्चों के लिए ₹20
४. जलियांवाला बाग मेमोरियल कॉम्प्लेक्स, अमृतसर
इस घटना के बारे में हम सभी ने अपनी किताबों में पढ़ा है। यह एक ऐसी भयानक घटना थी जिसमें ब्रिटिश अधिकारियों ने एक स्थानीय मेले में भाग लेने के लिए गए निर्दोष नागरिकों पर खुलेआम गोलियाँ चलाईं। एक रक्तपात हुआ था जिसमें हजारों लोग मारे गए थे और लाशें एक के ऊपर एक ढेर हो गई थीं। दीवारों पर आज भी गोलियों के निशान देखे जा सकते हैं।
इस परिसर को 4 दीर्घाओं में विकसित किया गया है जो अतीत की कहानियों को प्रदर्शित करती हैं। यहाँ जल रही स्वतंत्रता की ज्वाला सभी भारतीयों के दिलों के भीतर जलती हुई ज्वाला का प्रतीक है।
- समय: सप्ताह के सभी दिनों में सुबह 06:30 बजे से शाम 07:30 बजे तक।
- प्रवेश शुल्क: नि: शुल्क
५. साबरमती आश्रम, अहमदाबाद
यह वह जगह है जहां गांधी अपनी पत्नी के साथ रहते थे। दांडी मार्च और नमक सत्याग्रह आंदोलन यहीं से शुरू हुआ था। गांधी ने इसी घर में बैठकर अपनी जीवनी लिखी थी। यह भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय महत्व का एक स्मारक है।
- समय: सप्ताह के सभी दिनों में सुबह 08:30 बजे से शाम 06:30 बजे तक।
- प्रवेश शुल्क: नि: शुल्क
६. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, गुजरात
यह दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है। महान नेता, सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा है जिन्होंने भारत के 562 बिखरे हुए रियासतों को एक करने का काम किया। इस प्रतिमा की ऊंचाई 597 फीट है एवं इसके पांच क्षेत्र हैं। पहले तीन स्तरों में प्रदर्शनी क्षेत्र, मेजेनाइन, छत, स्मारक उद्यान और संग्रहालय शामिल हैं। दूसरा क्षेत्र प्रतिमा की जांघों तक पहुंचता है। तीसरे स्तर में 153 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक देखने वाली गैलरी है। चौथे जोन और पांचवें जोन में रखरखाव क्षेत्र और मूर्ति के सिर और कंधे शामिल हैं। इस स्थान पे एक बस सेवा है जिसमें एक अवलोकन डेक दृश्य, फूलों की घाटी, स्मारक, संग्रहालय, ऑडियो-विजुअल गैलरी, एसओयू साइट और सरदार सरोवर बांध शामिल हैं। हालाँकि ये जगह आज़ादी के काफी बाद की है लेकिन ये भी वो १४(14) जगहें जो की बेस्ट हैं इस गणतंत्र दिवस पर घूमने के लिए उनमे से एक है।
- समय: सोमवार को छोड़कर सभी दिन सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक।
- प्रवेश शुल्क: ₹120 और बच्चों के लिए (3 से 15 वर्ष) ₹60। वयस्कों और बच्चों के लिए बस का शुल्क ₹30 है।
- अपनी यात्रा की योजना बनाते समय आप स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की आधिकारिक वेबसाइट पर आने का समय देख सकते हैं या टिकट बुक कर सकते हैं।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के साथ-साथ अगर आप अपनी यात्रा को एक धार्मिक स्वाद देना चाहते हैं, तो आप द्वारका को अपने यात्रा कार्यक्रम में शामिल कर सकते हैं। यहाँ top places to visit in Dwarka दिए गए हैं जिन्हें आप देख सकते हैं और अपनी यात्रा का आनंद ले सकते हैं।
७. सेलुलर जेल, पोर्ट ब्लेयर
इस जगह को भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक माना जाता है। इसे “काला पानी” (Black Water) के नाम से भी जाना जाता है। इस जेल के निर्माण के पीछे एकमात्र उद्देश्य भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वालों को यातना देना था। यह एक 3 मंजिला ढांचा था जिसकी वास्तुकला पेंसिल्वेनिया प्रणाली पर आधारित है जिसमें 7 पंख हैं। इसे इस तरह से बनाया गया था कि कोई भी दो कैदी आपस में बात नहीं कर सकते थे.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर के जिमखाना मैदान में पहली बार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया और आज़ाद हिंद सरकार की घोषणा की। वह ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से भारतीय क्षेत्र को मुक्त करने वाले पहले व्यक्ति थे। 1945 में अंग्रेजों ने वापस इस जगह पर नियंत्रण हासिल कर लिया। स्वतंत्रता के बाद, गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल को 1963 में सेलुलर जेल के परिसर में स्थापित किया गया था (अस्पताल अभी भी संचालन में है)। आज सेलुलर जेल एक राष्ट्रीय स्मारक है एवं भारत सरकार की देखरेख में है।
- समय: प्रतिदिन सुबह 08:45 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और दोपहर 01:30 बजे से सायं 04:00 बजे।
- एनएससीबी द्वीप लाइट एंड साउंड शो = 05:30 बजे (बुधवार को छोड़कर इस शो को प्रतिदिन हिंदी में चलाया जाता है। बुधवार को इसे अंग्रेजी में चलाया जाता है।)
- प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए ₹30 और विदेशी पर्यटकों के लिए ₹100।
- वीडियो कैमरा = गैर-पेशेवर ₹200; पेशेवर ₹1,000; राष्ट्रीय स्मारक सेलुलर जेल में पूर्व अनुमति के साथ स्वतंत्रता आंदोलन पर फिल्म की शूटिंग ₹10,000 प्रति दिन
- एनएससीबी द्वीप लाइट एंड साउंड शो = वयस्कों के लिए ₹300 और बच्चों के लिए ₹75।
८ नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप (रॉस द्वीप), अंडमान
यह पोर्ट ब्लेयर से लगभग 5 किमी दूर है। यह स्वतंत्रता संग्राम में शामिल कैदियों को निर्वासित करने के लिए अंग्रेजों द्वारा बनाई गई एक दंड कॉलोनी थी। यहां के कैदी ज्यादातर वे थे जिन्होंने 1857 के विद्रोह में भाग लिया था। जापानियों ने 1942 से 1945 तक इस द्वीप पर कब्जा किया था। जापानी बंकरों को आज तक देखा जा सकता है। रॉस द्वीप का नाम 2018 में पीएम श्री नरेंद्र मोदी द्वारा “नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप” रखा गया था। यह द्वीप अब निर्जन है और आप रात में वहां नहीं रुक सकते हैं।
- समय: बुधवार को छोड़कर सभी दिनों में सुबह 08:30 से शाम 4 बजे तक। लाइट एंड साउंड शो = शाम 05:30 बजे बुधवार को छोड़कर हर दिन।
- प्रवेश शुल्क: ₹90; लाइट एंड साउंड शो के लिए वयस्कों के लिए ₹100 और बच्चों के लिए ₹25।
९. रेजीडेंसी, लखनऊ
यह कई इमारतों का एक समूह है जिसका इस्तेमाल अंग्रेज अपने निवास के रूप में किया करते थे। लखनऊ के नवाब के दरबार के प्रतिनिधि यहीं ठहरे थे। हालाँकि ये जगह इनमे से किसी भी कारन से प्रसिद्ध नहीं है। 1 जुलाई 1857 और 17 नवंबर 1857 के बीच 1857 के भारतीय विद्रोह के हिस्से के रूप में रेजीडेंसी पर स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा हमला किया गया था। यहाँ शहीद स्मारक, टिहरी कोठी और उच्च न्यायालय भवन जैसे अन्य स्मारक हैं। जब रेजीडेंसी की घेराबंदी की जा रही थी, तब उसमें लगभग 3,000 से 3,500 लोग थे। कब्रिस्तान में घेराबंदी के दौरान मारे गए लोगों की 2,000 कब्रें हैं। परिसर के अंदर एक संग्रहालय है और हर शाम यहां ध्वनि और प्रकाश शो आयोजित किया जाता है।
- समय: प्रतिदिन सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक।
- प्रवेश शुल्क: भारतीय पर्यटकों के लिए ₹15 और विदेशी पर्यटकों के लिए ₹200।
१०. झांसी का किला, झांसी
यह बुंदेलखंड क्षेत्र का एक ऐतिहासिक किला है। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वीरता का प्रतीक है। रानी लक्ष्मी बाई उन वीरांगनाओ में से हैं जिन्होंने ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। वह उस समूह की नेता थीं जिसने 1857 के विद्रोह में अंग्रेजों से लोहा लिया था। रानी लक्ष्मी बाई झांसी के किले से घोड़े की पीठ पर कूदकर अंग्रेजों से बच निकलीं। काफी इतिहासकार मानते हैं की अंग्रेज रानी लक्ष्मीबाई को पकड़ नहीं पाए थे। यहाँ हर शाम को ध्वनि और प्रकाश शो के साथ एक लेजर शो भी होता है जिसमें रानी लक्ष्मीबाई के जीवन और 1857 के विद्रोह को दिखाया जाता है।
- समय: हर दिन सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक और साउंड एंड लाइट शो का समय गर्मियों में शाम 07:30 (हिंदी) और शाम 08:30 (अंग्रेजी) एवं सर्दियों में शाम 06:30 (हिंदी) और शाम 07:30 (अंग्रेजी) होता है।
- प्रवेश शुल्क: भारतीय/सार्क/बिम्सटेक पर्यटकों के लिए ₹20 (ऑनलाइन)/ ₹25 (ऑफ़लाइन) और विदेशियों के लिए ₹250 (ऑनलाइन)/ ₹300 (ऑफ़लाइन)। 15 वर्ष की आयु तक के बच्चों को निःशुल्क प्रवेश की अनुमति है।
- ध्वनि और प्रकाश शो टिकट = ₹50 भारतियों के लिए और ₹250 विदेशियों के लिए।
किले के बारे में अधिक जानकारी आप झांसी डॉट एनआईसी पर पढ़ सकते हैं। विशाल झाँसी किले के अलावा, झाँसी में घूमने के स्थानों की एक लम्बी सूचि है जो की पर्यटकों को काफी आकर्षित करते हैं। झांसी में घूमने के लिए शीर्ष 5 स्थानों की जाँच करें।
११. वाघा बॉर्डर, पंजाब
वाघा गांव भारत और पाकिस्तान को विभाजित करने वाली सीमा रेखा पर स्थित है। वाघा बॉर्डर अपने झंडे उतारने के समारोह के लिए प्रसिद्ध है। इसे “वाघा-अटारी सीमा समारोह” कहा जाता है। 1959 से हर दिन सूर्यास्त से 2 घंटे पहले यहां आयोजित किया जाता है। हर शाम यह समारोह होता है। बीएसएफ और पाकिस्तान रेंजर्स दोनों ने अपने झंडे उतारे। यह समारोह रोंगटे खड़े कर देने वाला है और निश्चित रूप से आपकी देशभक्ति को सामने लाएगा। प्रत्येक भारतीय को कम से कम एक बार इन १४(14) जगहें में से 3 जगहों पर गणतंत्र दिवस पर जरूर जाना चाहिए। उन 3 में 3 जगह वाघा बॉर्डर भी है।
- समय: प्रतिदिन सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक। रिट्रीट समारोह: शाम 05:15 बजे (गर्मी) और शाम 04:15 बजे (सर्दी)
- प्रवेश शुल्क: नि: शुल्क
१२. मंगल पांडे पार्क, बैरकपुर, पश्चिम बंगाल
यह वह जगह है जहां भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह शुरू किया था। मंगल पांडे भारत के “प्रथम स्वतंत्रता सेनानी” थे जो पहले ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के एक सैनिक भी थे। उन्होंने अंग्रेजों को ललकारा और दो ब्रिटिश अधिकारियों को गोली मार कर मार डाला। परिणामस्वरूप, उन्हें 1857 में फाँसी दे दी गई जिससे आम जान मानस में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया और प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का प्रथम अध्याय प्रारम्भ हुआ। मंगल पांडे पार्क वह जगह है जहां वे फांसी के फंदे पर झूल गए।
- समय: प्रतिदिन सुबह 5 बजे से शाम 06:30 बजे तक।
- प्रवेश शुल्क: ₹15 प्रति व्यक्ति।
१३. ग्वालियर का किला
यह वह स्थान है जहाँ रानी लक्ष्मीबाई ने अपने प्राण त्यागे थे। रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजी सेना की आँखों में धूल झोंक कर चालाकी से झाँसी के किले को छोड़कर ग्वालियर किले में प्रवेश किया। यहाँ पहुँच कर उन्होंने अंग्रेजी सेना को कड़ी टक्कर और संख्या में कम होने के बावजूद अंग्रेजी सेना को लोहे के चने चबाने को मजबूर कर दिय। ग्वालियर में लगभग 6500 सैनिकों ने विद्रोह किया और अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष किया।
- समय: प्रतिदिन सुबह 7 बजे से शाम 05:30 बजे तक।
- प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए ₹75 और विदेशी पर्यटकों के लिए ₹250।
अगर आप ये सोच रहे हैं की क्या सिर्फ ग्वालियर का फोर्ट घूमने के लिए आपको ग्वालियर जाना पड़ेगा? तो चिंता न करें, यहाँ ग्वालियर में घूमने के लिए शीर्ष 20 स्थान हैं जो आपके पर्यटक हृदय को सुकून प्रदान करेंगे।
१४. इंडिया गेट
यह एक युद्ध स्मारक है। इसे उन सैनिकों के सम्मान में बनाया गया था जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो-अफगान युद्ध में अंग्रेजो के कहने पर अपना योगदान दिया था एवं बहुतों ने अपनी जान गवई थी। इन पर 82,000 सैनिकों के नाम खुदे हुए हैं। पहले इसे “अखिल भारतीय युद्ध स्मारक” के नाम से जाना जाता था। अमर जवान ज्योति (शाश्वत सैनिक की ज्वाला) नामक एक संरचना है। इसका उद्घाटन 1971 में भारत के अनकहे सैनिकों की कब्र के रूप में किया गया था। इंडिया गेट भारत के सबसे बड़े युद्ध स्मारकों में से एक है। गणतंत्र दिवस समारोह अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए प्रधान मंत्री की यात्रा के साथ शुरू होता है। 21 जनवरी 2022 को, इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में अमर जवान ज्योति में स्थानांतरित कर दिया गया।
- समय: कोई विशिष्ट या निश्चित समय नहीं है। हालाँकि यहाँ शाम का दृश्य सबसे बेहतरीन होता है।
- प्रवेश शुल्क: नि: शुल्क
इस गणतंत्र दिवस पर घूमने के लिए ये 14 जगहें पर्याप्त क्यों नहीं लगते?
यहां तक कि अगर मैं इस गणतंत्र दिवस पर घूमने के लिए 14 और जगहें को जोड़ दूं, तो भी यह पर्याप्त नहीं होगा। यह कभी पर्याप्त हो भी नहीं सकता। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम क्या करते हैं, क्योंकि हमने जो खोया है उसकी भरपाई हम नहीं कर सकते। लेकिन, जो हम कर सकते हैं वह यह है कि हमें जो दिया गया है उसे संरक्षित करना है।
मुझे यकीन है कि जब आप इस सूची में 14वें और अंतिम स्थान को पार करेंगे, तो आपकी इन जगहों के बारे में जानने का और मन करेगा।
क्या हो अगर मैं इस गणतंत्र दिवस पर इन 14 जगहों पर न जा सकूँ?
किसी का भी एक वाजिब सवाल हो सकता है कि क्या हो अगर मैं इस गणतंत्र दिवस पर इनमें से किसी भी जगह पर नहीं जा पाऊं? क्या मेरा आभार व्यक्त करने के लिए इन जगहों पर जाना आवश्यक है?
बिलकुल नही। यह अनिवार्य नहीं है और न ही यह संभव है। साथ ही अपने राष्ट्र के प्रति आभार प्रकट करना एक दिन की बात नहीं है। यह हमारे जीवन का हिस्सा होना चाहिए। हम सभी यह पहले से ही जानते हैं इसलिए मैं उसके बारे में यहां व्याख्यान नहीं दूंगा।
मैं सिर्फ 14 स्थलों में से कम से कम एक यात्रा करने की सलाह देता हूं जो आपके अंदर के देशभक्त को जगाने में आपकी मदद कर सकता है। मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से जलियांवाला बाग की घटना बहुत ही हृदय विदारक है। कोई सोच भी नहीं सकता कि जिस भीड़ को गोलियों से भून दिया गया होगा, उस भीड़ में वह कितना भयानक रहा होगा। हमारे साथ साझा करें, उनमें से कौन सा आपके दिल के करीब है।
एक महान नेता ने एक बार कहा था कि “आप जो कुछ भी करते हैं, अगर आप उसे ईमानदारी से कर रहे हैं, जो किसी भी मायने में राष्ट्र के पक्ष में है, तो आप एक सच्चे भारतीय हैं”।
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